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"सच सूर्य है / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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15:37, 20 जून 2010 का अवतरण

क्यों मरोगे

रचनाकार - रमेश कौशिक

सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे

सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।