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"समीप और समीप / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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कला

रास्ते में कुछ मिला
एक ने कहा-ओह,यह कला है
दूसरे ने कहा- उफ़, यह बला है
तीसरे ने ध्यान से देखा और कहा
छि: यह तो जूते का तला है।