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"ग्रामोफोन रिकार्ड / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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<poem>ग्रामोफोन रिकार्ड<br /><br />अगर किसी के सुई चुभती<br />वह दु:ख से रोने लगता है<br />पर रिकार्ड सुई चुभने पर<br />मधुर गीत गाने लगता है।<br /><br />ऐसे विरले ही होते हैं<br />जो दु:ख में भी गा लेते हैं<br />जो दु:ख में भी गा लेते हैं<br />उनको प्यार सभी करते हैं।   
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<poem>'''ग्रामोफोन रिकार्ड'''<br /><br />अगर किसी के सुई चुभती<br />वह दु:ख से रोने लगता है<br />पर रिकार्ड सुई चुभने पर<br />मधुर गीत गाने लगता है।<br /><br />ऐसे विरले ही होते हैं<br />जो दु:ख में भी गा लेते हैं<br />जो दु:ख में भी गा लेते हैं<br />उनको प्यार सभी करते हैं।   
 
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10:49, 23 जून 2010 का अवतरण

{{KKRachna ।रचनाकार=रमेश कौशिक }}

ग्रामोफोन रिकार्ड

अगर किसी के सुई चुभती
वह दु:ख से रोने लगता है
पर रिकार्ड सुई चुभने पर
मधुर गीत गाने लगता है।

ऐसे विरले ही होते हैं
जो दु:ख में भी गा लेते हैं
जो दु:ख में भी गा लेते हैं
उनको प्यार सभी करते हैं।