भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अश्वत्थामा हत: / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=हास्य नहीं, व्यंग्य / रमेश कौ…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:11, 23 जून 2010 का अवतरण
अश्वत्थामा हत:
अश्वत्थामा मारा गया-
नर या कुंजर
तुमने तो सत्य ही बोला था-
युधिष्ठिर
किन्तु वे
तुम्हारे ही साथी थे धनुर्धर
जिन्होंने गुँजाया था शंख-स्वर
जब तुम्ने कहा था-
या कुंजर
ठीक है
तुम सत्यव्रती बने रहे
और काम भी हो गया
युद्ध जीत गये
दुनिया में बड़ा नाम हो गया
किंतु उस क्षण
जो संप्रेक्षित हुआ था
तुम्हारे द्वारा
तुम्हे पता था-
वह असत्य था
गुरु द्रोण
पुत्र-वध सुन कर नहीं मरे
शिष्य का छदम सत्य देख
लज्जा से देह छोड़ गये।