भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रोटी और फूल / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem>'''र…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:33, 23 जून 2010 के समय का अवतरण

रोटी और फूल

कभी कन्फ्यूशियस ने कहा था-
यदि तुम्हारे पास
पैसे हैं दो
एक से खरीदो-
रोटी
और दूसरे से फूल
रोटी से मिलेगा
जीवन
और जीने की कला
सिखायेगा फूल

लेकिन इतने बाद
आदम का बच्चा
वह बात गया भूल
अब दोनों ही पैसों की लेता बन्दूक