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"बार बार अंतिम प्रणाम करता तुमको मन / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

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बारबार अंतिम प्रणाम करता तुमको मन
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हे भारत की आत्मा, तुम कब थे भंगुर तन?
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व्याप्त हो गए जन मन में तुम आज महात्मन्
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नव प्रकाश बन, आलोकित कर नव जग-जीवन!
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पार कर चुके थे निश्वय तुम जन्म औ’ निधन
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इसीलिए बन सके आज तुम दिव्य जागरण!
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श्रद्धानत अंतिम प्रणाम करता तुमको मन
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हे भारत की आत्मा, नव जीवन के जीवन!
 
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21:59, 23 जून 2010 का अवतरण


बारबार अंतिम प्रणाम करता तुमको मन
हे भारत की आत्मा, तुम कब थे भंगुर तन?
व्याप्त हो गए जन मन में तुम आज महात्मन्
नव प्रकाश बन, आलोकित कर नव जग-जीवन!
पार कर चुके थे निश्वय तुम जन्म औ’ निधन
इसीलिए बन सके आज तुम दिव्य जागरण!
श्रद्धानत अंतिम प्रणाम करता तुमको मन
हे भारत की आत्मा, नव जीवन के जीवन!