"आन्द्रेय वाज़्नेसिंस्की / परिचय" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: वोज़्नेसेस्की का जन्म मास्को में हुआ और वहीं वास्तु-कला संस्थान …) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | वोज़्नेसेस्की का जन्म मास्को में हुआ और वहीं वास्तु-कला संस्थान में शिक्षा पाई. 1959 में प्रकाशित इनकी पहली ही रचना 'मालिक' ने इन्हें कवियों की प्रथम पंक्ति में ला खड़ा किया. इनकी कविताओं की लोकप्रियता ने इन्हें वास्तु कला के स्थान पर काव्य-कला को समर्पित कर दिया.1960 में इनके दो संकलन 'पच्चीकारी' तथा 'परवलय'प्रकाशित हुए जिनमें इनकी सृजनात्मक प्रतिभा अपनी पूरी छटा के साथ उभरी है. इसके पश्चात 1962 में 'त्रिकोणात्मक नाशपाती', 1964 में 'प्रतिसंसार'और 1965 में 'ओजा' नामक संग्रह प्रकाशित हुए.वोज़्नेसेस्की के काव्य का मूल केन्द्र आज के अणु-युग में संसार की असुरक्षा से उत्पन्न त्रास की भावना है. इनकी रचनाओं में झूठ, दंभ और हिंसा में लिपटी शक्तियों पर तीव्र प्रहार तथा विश्व-बंधुत्व की भावना का प्रतिपादन है. इस युग की चिंताओं तथा दुखदायी संघर्षो का चित्रण और जीवन के प्रति आशा-विशवास है. | + | वोज़्नेसेस्की का जन्म 1933 में मास्को में हुआ और वहीं वास्तु-कला संस्थान में शिक्षा पाई. 1959 में प्रकाशित इनकी पहली ही रचना 'मालिक' ने इन्हें कवियों की प्रथम पंक्ति में ला खड़ा किया. इनकी कविताओं की लोकप्रियता ने इन्हें वास्तु कला के स्थान पर काव्य-कला को समर्पित कर दिया.1960 में इनके दो संकलन 'पच्चीकारी' तथा 'परवलय'प्रकाशित हुए जिनमें इनकी सृजनात्मक प्रतिभा अपनी पूरी छटा के साथ उभरी है. इसके पश्चात 1962 में 'त्रिकोणात्मक नाशपाती', 1964 में 'प्रतिसंसार'और 1965 में 'ओजा' नामक संग्रह प्रकाशित हुए.वोज़्नेसेस्की के काव्य का मूल केन्द्र आज के अणु-युग में संसार की असुरक्षा से उत्पन्न त्रास की भावना है. इनकी रचनाओं में झूठ, दंभ और हिंसा में लिपटी शक्तियों पर तीव्र प्रहार तथा विश्व-बंधुत्व की भावना का प्रतिपादन है. इस युग की चिंताओं तथा दुखदायी संघर्षो का चित्रण और जीवन के प्रति आशा-विशवास है. |
+ | * संकलन 'एक सौ एक सोवियत कविताओं 'से साभार (रचनाकार : रमेश कौशिक ) |
15:06, 26 जून 2010 का अवतरण
वोज़्नेसेस्की का जन्म 1933 में मास्को में हुआ और वहीं वास्तु-कला संस्थान में शिक्षा पाई. 1959 में प्रकाशित इनकी पहली ही रचना 'मालिक' ने इन्हें कवियों की प्रथम पंक्ति में ला खड़ा किया. इनकी कविताओं की लोकप्रियता ने इन्हें वास्तु कला के स्थान पर काव्य-कला को समर्पित कर दिया.1960 में इनके दो संकलन 'पच्चीकारी' तथा 'परवलय'प्रकाशित हुए जिनमें इनकी सृजनात्मक प्रतिभा अपनी पूरी छटा के साथ उभरी है. इसके पश्चात 1962 में 'त्रिकोणात्मक नाशपाती', 1964 में 'प्रतिसंसार'और 1965 में 'ओजा' नामक संग्रह प्रकाशित हुए.वोज़्नेसेस्की के काव्य का मूल केन्द्र आज के अणु-युग में संसार की असुरक्षा से उत्पन्न त्रास की भावना है. इनकी रचनाओं में झूठ, दंभ और हिंसा में लिपटी शक्तियों पर तीव्र प्रहार तथा विश्व-बंधुत्व की भावना का प्रतिपादन है. इस युग की चिंताओं तथा दुखदायी संघर्षो का चित्रण और जीवन के प्रति आशा-विशवास है.
- संकलन 'एक सौ एक सोवियत कविताओं 'से साभार (रचनाकार : रमेश कौशिक )