भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देह के मस्तूल / चंद्रसेन विराट" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रसेन विराट }} {{KKCatNavgeet}} <poem> अंजुरी-जल में प्रणय क…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
अंजुरी-जल में प्रणय की | अंजुरी-जल में प्रणय की | ||
:::अर्चना के फूल डूबे । | :::अर्चना के फूल डूबे । | ||
+ | |||
::ये अमलतासी अँधेरे, | ::ये अमलतासी अँधेरे, | ||
::और कचनारी उजेरे, | ::और कचनारी उजेरे, |
07:32, 27 जून 2010 का अवतरण
अंजुरी-जल में प्रणय की
अर्चना के फूल डूबे ।
ये अमलतासी अँधेरे,
और कचनारी उजेरे,
आयु के ऋतुरंग में सब
चाह के अनुकूल डूबे ।
स्पर्श ने संवाद बोले,
रक्त में तूफ़ान घोले,
कामना के ज्वार-जल में
देह के मस्तूल डूबे ।
भावना से बुद्धि मोहित-
हो गई प्रज्ञा तिरोहित,
चेतना के तरु-शिखर डूबे,
सुसंयम-मूल डूबे ।