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"संयुक्त राष्ट्र संघ / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
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17:39, 27 जून 2010 के समय का अवतरण
जब पूरे के पूरे
भूगोल के कानों में कोई
संगीत की जगह
गर्म सीसा उड़ेलता है
और इतिहास
अपने उत्तरदायित्व से
मुँह मोड़कर
बच्चों की तरह असहाय
बनने का अभिनय करता है
तब संयुक्त राष्ट्र संघ
एक काठ के कबूतर से ज्यादा
कुछ नहीं लगता