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"सबको न गले तुम यूँ लगाया करो 'श्रद्धा' / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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हमदर्द मगर कोई बनाया करो 'श्रद्धा' | हमदर्द मगर कोई बनाया करो 'श्रद्धा' | ||
10:43, 29 जून 2010 का अवतरण
सबको न गले तुम यूँ लगाया करो 'श्रद्धा'
हमदर्द मगर कोई बनाया करो 'श्रद्धा'
बैठा करो कुछ देर चराग़ों को बुझा कर
आँखें कभी ख़ुद से, न चुराया करो 'श्रद्धा'
जाया करो मेले कभी, बागों में भी टहलो
हंस-हंस के भरम ग़म का मिटाया करो 'श्रद्धा'
बंदूक-तमंचे से जो घिर जाए ये बचपन
पर्वत, नदी, फूलों से मिलाया करो 'श्रद्धा'
बादल हो घने गम के चमकती हो बिजलियाँ
बरसात में मल-मल के नहाया करो 'श्रद्धा'
ये क्या कि हो जाना तेरा महफ़िल में भी तन्हा
आते हो तो इस तरह न आया करो 'श्रद्धा'
नुकसान-नफ़ा सोच के रिश्ते नहीं बनते
कुछ त्याग-समर्पण भी तो लाया करो 'श्रद्धा'