भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काँटे आए कभी गुलाब आए.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (आए काँटे, कभी गुलाब आए / श्रद्धा जैन का नाम बदलकर काँटे आए कभी गुलाब आए / श्रद्धा जैन कर दिया गया है) |
|
(कोई अंतर नहीं)
|
11:14, 29 जून 2010 का अवतरण
काँटे आए कभी गुलाब आए
जो भी आए वो बेहिसाब आए
रंग उड़ जाए उनके चेहरे का
जब भी मेरी वफ़ा के बाब<ref>किस्से</ref> आए
काम आए न कोई चतुराई
ज़िंदगी में अगर अज़ाब आए
दोस्त हो या मेरा वो दुश्मन हो
सामने मेरे, बेनक़ाब आए
घर की छत में दरार है “श्रद्धा”
ऐसे आलम में कैसे ख़्वाब आए
शब्दार्थ
<references/>