भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आग़ाज़ / रेणु हुसैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेणु हुसैन |संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन }} {{KKCatKav…) |
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | ||
दरिया हो ख़ामोश तो मत समझो | दरिया हो ख़ामोश तो मत समझो |
12:44, 29 जून 2010 के समय का अवतरण
दरिया हो ख़ामोश तो मत समझो
कि उसमें रवानी नहीं है
हम हैं अपने फर्ज़ से मज़बूर
मत समझो कि जोश-ए-जवानी नहीं है
हम हैं लहरें किसी बेचैन समंदर की
उठे तो तूफान बनके उट्ठेंगे
अभी हमने उठने की ठानी नहीं है।