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"खुशी-ग़म / रेणु हुसैन" के अवतरणों में अंतर
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13:11, 29 जून 2010 के समय का अवतरण
खुशी आती है
किसी मेहमान की तरह
लाख रोको नहीं रुकती
जैसे आती है चली जाती है
ग़म आता है
अपने ही साये की तरह
लाख हटाओ
नहीं हटता
साथ-साथ जीये जाता है।