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13:46, 29 जून 2010 के समय का अवतरण


होना तो चाहिये था
ये
कि तुम्हें सबकी फिक्र होती

और हो रहा है ये
कि
मरे जा रहे हैं सब
फिक्र में तुम्हारी।
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