भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन की कविता / प्रदीप जिलवाने" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप जिलवाने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> एकांत का कोई …)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:49, 29 जून 2010 के समय का अवतरण


एकांत का कोई
सुरक्षित कोना नहीं चाहिए
अपने लिए.

मैं
तुम्हारे लिए
तुम्हारे साथ रहकर
तुम पर लिखना चाहता हूँ
अपने मन की कविता.
00