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"फिर आना / प्रदीप जिलवाने" के अवतरणों में अंतर

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13:56, 29 जून 2010 के समय का अवतरण


विदा होते दुःख तुम फिर आना

कि तुम्हारे आने से
घर में एका रहा चार दिन

कि तुम्हारे आने से
बनी रही चहल-पहल थोड़ी

कि तुम्हारे आने से
अपनत्व का अहसास हुआ

कि तुम्हारे आने से
अंततः तो मिला सुख ही

विदा होते दुःख तुम फिर आना
कि बाकी है अभी यहाँ
दुःख बाँटने की परम्परा।
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