भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वह-2 / प्रदीप जिलवाने" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप जिलवाने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> शायद आपको वि…)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:57, 29 जून 2010 के समय का अवतरण


शायद आपको विश्‍वास न हो
परन्तु वो खुद भी नहीं जानता

कि
उसके कितने हाथों में
कितने हथियार हैं ?

कि उसके कितने पैरों में
कितने जूतें हैं ?

कि उसके कितने मुँहों में
कितने जुबानें हैं ?

और
अपने कितने सरों की
अब तक वह चढ़ा चुका है बलि।
00