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"राजकुमारी-2 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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08:29, 30 जून 2010 के समय का अवतरण

दोहरी जिंदगी जीने को
श्रापित है राजकुमारी
चलता है निरंतर
उस के भीतर युद्ध


युद्ध-विराम के समय
वह सोचती है-
हाँ यह ठीक है
और जैसे ही आगे बढ़ाती है
दो-चार कदम
रूक जाती है वहीं
सोचते हुए- नहीं,
यह गलत है ।