भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दकियानूस / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''दकियानूस''…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:56, 30 जून 2010 के समय का अवतरण
दकियानूस
शब्द जो लम्बे समय तक
परित्यक्त रहते हैं,
हमारे सामाजिक शब्दकोश में
गाली बन जाते हैं
मैने अपनी उम्रभर
एक ऐसे शब्द को
आदमी और समाज से
बहिष्कृत होते देखा है
जब कभी मैने
'ब्रह्मचर्य' को परिभाषित मांगा है,
हर दस-वर्षीय लडकी ने सरेआम
मुझे दकियानूस पुकारा है।