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"घर-बेघर / कर्णसिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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20:03, 1 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
घर में रहते बेघर हैं
सामाजिक रस्मों बंधे
दो शरीर
पकाते हैं
खाते हैं
आते हैं
जाते हैं
खर्च के हिसाब पर
कभी कभी बतियाते हैं