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"प्रेम का पहला पाठ / कर्णसिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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20:06, 1 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


यह शर्माना
लज्जा से लाल हो जाना
डरना
बिछुड़ना
पछताना
पास आना
लहराना
अमरबेलि सी लिपट जाना
उफनते दरिया सी हँस
मौन हो जाना
शरीर की विभूती में खिल जाना
बादलों में छिप कर
चांदनी सा पसर जाना
प्रेम की दुनिया का पहला पाठ है।