भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्‍या कीजे! / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:53, 2 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


उत्‍कृष्‍ट उच्‍चारण परिनिष्ठित भाषा
मृदुल हास
बुद्धि तीक्ष्‍ण
चेहरा भी सुन्‍दर और मोहरा भी
धर्मनिरपेक्षता पर भी है पूरा विश्‍वास
अब आत्‍मा में ही नहीं है सुवास
तो क्‍या कीजे !
00