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"हर छुअन के बाद / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>बरसात में नहाई हरी पत्तियां सोनल धूप की छुअन जो मिली दिप-दिप कर…)
 
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14:48, 2 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

बरसात में नहाई
हरी पत्तियां
सोनल धूप की छुअन जो मिली
दिप-दिप कर खिल उठीं

कुछ और भरा
उनके भीतर हरा
हर छुअन के बाद
फिर-फिर भरा
कुछ और हरा

देखो
इनके दम से
अब हरा भरा है पेड़ पूरा !