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"पुन:उन्‍मीलन / दिनेश कुमार शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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बहू-बेटे, बेटियों के सामने
जब बहुत बरसों बाद
माँ फिर दिनों से हो जाय
लाज-सील-सनेह-सहज-सुभाय
किसे क्या बतलाय

डिम्बिडम्बित कायकृश, कुलकेलिकलरवक्लान्त
कातर कुमुदिनी का पुनर्उन्मीलन...