भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टूटना जरूरी है / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:56, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


यह सुन्दर है
क्योंकि यह समुन्दर है

यह और भी सुन्दर हो सकता है
अगर धार के विरुद्ध
तुम
अपनी चुप्पी तोड़ दो
अगर तुम
तुकों के सहारे जीवन जीना छोड़ दो


टूटना ज़रूरी है
बनने के लिए
टूटना ज़रूरी है
सुन्दर होने के लिए
टूटना ज़रूरी है
समुन्दर होने के लिए