भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब हँसने की घड़ी आई / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:16, 5 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
हँसने के लिए
रोता रहा तमाम उम्र
और जब हसने की घड़ी आई
तब हँसना तो दूर
ढंग से मैं रोना भी भूल चुका था