भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माथे पे बिंदिया चमक रही / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: भावना कुँअर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ माथे पे बिंदिया चमक रही हाथों मे...)
(कोई अंतर नहीं)

23:58, 2 मई 2007 का अवतरण

रचनाकार: भावना कुँअर

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

माथे पे बिंदिया चमक रही

हाथों में मेंहदी महक रही।


शर्माते से इन गालों पर

सूरज सी लाली दमक रही।


खन-खन से करते कॅगन की

आवाज़ मधुर सी चहक रही।


है नये सफर की तैयारी

पैरों में पायल छनक रही।


Categories: कविताएँ | भावना कुँअर