भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"झटका / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी
 
|रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी  
+
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी; चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड़ी  
 
}}
 
}}
 
<Poem>
 
<Poem>

03:16, 8 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

घोड़े के बाल बराबर
ताक़त भी बहुत है
बाल-बाल ताक़त
जैसे एक ब्रुश
जो बहुत कुछ साफ़ कर दे
धूल हो, दाँत हो
जूता हो, फ़र्श हो
लेकिन एक टॉनिक
जो पिया नहीं
गड़बड़ कर देता है
आत्मबल
नसें तार करती हैं
कि आँखें
जिसे प्यार करती हैं
उसे विटामिन 'सी' की
ज़रूरत है
तुम्हारी नहीं।