Changes

तो / लीलाधर जगूड़ी

95 bytes added, 21:47, 7 जुलाई 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी; चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड़ी
}}
<Poem>
जब उसने कहा
 
कि अब सोना नहीं मिलेगा
 
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
 
पर अगर वह कहता
 
कि अब नमक नहीं मिलेगा
 
तो शायद मैं रो पड़ता ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits