भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कार्यकर्ता से / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |संग्रह =चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
अब तो और भी महान् हो गई है | अब तो और भी महान् हो गई है | ||
भारतीय जनता | भारतीय जनता | ||
+ | |||
+ | किस जनता से किस जनता तक जाने में | ||
+ | किस जनता को किस जनता तक लाने में | ||
+ | कितनी कठिनाई होती है इस जाड़े में । | ||
</poem> | </poem> |
10:35, 9 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
जिसने भी लिया हो मझसे बदला
वह उसे दे जाए
वनमंत्री ने कहा उत्सव की ठंड में
जंगल जल रहा है उत्तराखंड में
जनता नहीं समझती
कितना कठिन है इस जाड़े में राज चलाना
आँकड़े वाली जनता, समस्या वाली जनता
और स्थानीय जनता तो क्या चीज़ है
अब तो और भी महान् हो गई है
भारतीय जनता
किस जनता से किस जनता तक जाने में
किस जनता को किस जनता तक लाने में
कितनी कठिनाई होती है इस जाड़े में ।