भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गंगा-स्तवन–एक / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:34, 9 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
यह वन में नाचती एक किशोरी का एकांत उल्लास है
अपनी ही देह का कौतुक और भय !
वह जो झरने बहे चले आ रहे हैं
हजारों-हजार
हर कदम उलझते-पुलझते कूदते-फांदते लिए अपने साथ अपने-अपने इलाके की
वनस्पतियों का रस और खनिज तत्व
दरअसल उन्होंने ही बनाया है इसे
देवापगा
गंग महरानी !
00