भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्‍याही ताल (कविता) / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:37, 9 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


मेरे मुंतजिर थे
रात के फैले हुए सियह बाजू
स्‍याह होंठ
थरथराते स्‍याह वक्ष
डबडबाता हुआ स्‍याह पेट
और जंघाएं स्‍याह

मैं नमक की खोज में निकला था
रात ने मुझे जा गिराया
स्‍याही के ताल में
00