भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उसकी हँसी / नरेन्द्र जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेन्द्र जैन |संग्रह=तीता के लिए कविताएँ / नरेन...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=तीता के लिए कविताएँ / नरेन्द्र जैन  
 
|संग्रह=तीता के लिए कविताएँ / नरेन्द्र जैन  
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
खिलौने हँस रहे हैं
 
खिलौने हँस रहे हैं

02:43, 10 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

खिलौने हँस रहे हैं
हमेशा की तरह

हमेशा की तरह
विस्मय में डूबी आँखें खोले
देख रहे हैं हमारी तरफ़

कल रात
चोरी छिपे मैंने देखा
उनकी मुद्रा में कोई फ़र्क नहीं आया

रात गए वह खिलौना
मुझे हँसता मुस्कुराता मिला

सुबह हुई
वह दिखा जैसे
मीठी नींद सोया हो रात भर

हमेशा की तरह
पूछे उसने कुछ सवाल
हँसा फिर
एक बार वह