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"सखी री देखहु बाल-बिनोद / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर
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− | सखी री देखहु बाल-बिनोद | + | सखी री देखहु बाल-बिनोद । |
− | खेलत राम-कृष्ण दोऊ आँगन किलकत हँसत | + | खेलत राम-कृष्ण दोऊ आँगन किलकत हँसत प्रमोद ।। |
− | कबहुँ घूटूरुअन दौरत दोऊ मिलि धूल-धूसरित | + | कबहुँ घूटूरुअन दौरत दोऊ मिलि धूल-धूसरित गात । |
− | देखि-देखि यह बाल चरित छबि, जननी बलि-बलि | + | देखि-देखि यह बाल चरित छबि, जननी बलि-बलि जात ।। |
− | झगरत कबहुँ दोऊ आनंद भरि, कबहुँ चलत हैं | + | झगरत कबहुँ दोऊ आनंद भरि, कबहुँ चलत हैं धाय । |
− | कबहुँ गहत माता की चोटी, माखन माँगत | + | कबहुँ गहत माता की चोटी, माखन माँगत आय ।। |
− | घर घर तें आवत ब्रजनारी, देखन यह | + | घर घर तें आवत ब्रजनारी, देखन यह आनंद । |
− | बाल रूप क्रीड़त हरि आँगन, छबि लखि बलि | + | बाल रूप क्रीड़त हरि आँगन, छबि लखि बलि ’हरिचंद’ ।। |
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20:31, 10 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
सखी री देखहु बाल-बिनोद ।
खेलत राम-कृष्ण दोऊ आँगन किलकत हँसत प्रमोद ।।
कबहुँ घूटूरुअन दौरत दोऊ मिलि धूल-धूसरित गात ।
देखि-देखि यह बाल चरित छबि, जननी बलि-बलि जात ।।
झगरत कबहुँ दोऊ आनंद भरि, कबहुँ चलत हैं धाय ।
कबहुँ गहत माता की चोटी, माखन माँगत आय ।।
घर घर तें आवत ब्रजनारी, देखन यह आनंद ।
बाल रूप क्रीड़त हरि आँगन, छबि लखि बलि ’हरिचंद’ ।।