भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रसार / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह=अरघान / त्रिलोचन }} {{KKCatNavgeet}} <poem> सूर…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
बिहँसी है | बिहँसी है | ||
− | + | :-सूरज की | |
</poem> | </poem> |
20:28, 12 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
सूरज की-
एक किरण
पीपल के पत्ते पर
ठहरी है
एक किरण
बेले के फूलों पर
फिसली है
एक किरण
ताल की तरंगों पर
थिरकी है
एक किरण
शिशु की दाँतुलियों पर
बिहँसी है
-सूरज की