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15:00, 13 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
चंचल चंचल निर्मल पानी
विहगों का संगीत कोलाहल
कैसी उठा के लहर आज मन में
झर- झर निर्झर कहता है चल..
चंचल चंचल निर्मल पानी..
पग क्यों बढे आज अनजान पथ पर
हम चल दिए बैठ किरणों के रथ पर
जाने कहाँ,..ले इरादे अटल
झर झर निर्झर कहता है चल
चंचल चंचल निर्मल पानी..
उगते हुए सूर्य की रश्मियों ने
बहते हुए भावना प्रेमियों ने
कहा तू चमक चाहे छुप या निकल
झर -झर निर्झर कहता है चल
चंचल चंचल निर्मल पानी..
जीवन के पथ मैं न रोना कभी
आदर्श अपने न खोना कभी
ये आवाज गूंजेगी एक बार तो
न अपने स्वरों को डुबोना कभी
पहचान बन जायेगा कोई कल
झर-झर निर्झर कहता है चल
चंचल चंचल निर्मल पानी
विहगों का संगीत कोलाहल
कैसी उठा के लहर आज मन में
झर-झर निर्झर कहता है चल..