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"मेरी मौत के बाद / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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| + | यानी, जम्हूरियाई बाजार में | ||
| + | हुकूमत की मुनाफेदार दुकान | ||
| + | बेचती रहेगी | ||
| + | मुर्गियाँ हलाल, | ||
| + | होती रहेंगी | ||
| + | सफेदपोशों की जेबें गरम, | ||
| + | इलेक्त्रानिक डिब्बे | ||
| + | उनकी हरामखोरी के | ||
| + | प्रशस्तिगान आलाप-आलाप | ||
| + | करते रहेंगे भेदों को आह्लादित | ||
| + | चन्द सड़कों, गाली, चौबारों | ||
| + | कस्बों, नगरों, शहरों | ||
| + | के नाम बदलाकर | ||
| + | महापरिवर्तन की वाहवाही लूटी जाएगी | ||
| + | और भोपाल, लातूर, ओडीसा, भुज में | ||
| + | चढ़े दान-दक्षिणाओं से | ||
| + | चन्द घर तब्दील होते रहेंगे | ||
| + | महालों, प्रासादों, शाही हरमों में | ||
| + | |||
| + | पतझड़ में | ||
| + | जमीन पर वैसे ही | ||
| + | अनाथ-अपाहिज पत्ते | ||
16:23, 14 जुलाई 2010 का अवतरण
मेरी मौत के बाद
मेरी मौत के बाद
वही सब रहेगा आवाद
यानी, जम्हूरियाई बाजार में
हुकूमत की मुनाफेदार दुकान
बेचती रहेगी
मुर्गियाँ हलाल,
होती रहेंगी
सफेदपोशों की जेबें गरम,
इलेक्त्रानिक डिब्बे
उनकी हरामखोरी के
प्रशस्तिगान आलाप-आलाप
करते रहेंगे भेदों को आह्लादित
चन्द सड़कों, गाली, चौबारों
कस्बों, नगरों, शहरों
के नाम बदलाकर
महापरिवर्तन की वाहवाही लूटी जाएगी
और भोपाल, लातूर, ओडीसा, भुज में
चढ़े दान-दक्षिणाओं से
चन्द घर तब्दील होते रहेंगे
महालों, प्रासादों, शाही हरमों में
पतझड़ में
जमीन पर वैसे ही
अनाथ-अपाहिज पत्ते
