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"बाज़ीगिरी / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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बाज़ीगिरी
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कुछ भी कह कर
 
कुछ भी कह कर
 
कुछ भी करके
 
कुछ भी करके
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मछली को
 
मछली को
 
उबलते तेल में छोड़
 
उबलते तेल में छोड़
बीड़ी पीने तलैया का-सा
+
बीड़ी पीते
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तलैया का-सा
 
***
 
***
बेसन के भीतेर छिपी
+
बेसन के भीतर छिपी
 
मछली के साथ
 
मछली के साथ
 
कब सिकुड़ता
 
कब सिकुड़ता
 
कब फटता है वह.
 
कब फटता है वह.
 
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07:12, 17 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


कुछ भी कह कर
कुछ भी करके
पल दो पल में
हँस पड़ना निश्चिंत
भाता था मुझे बहुत
कहूँ ! कैसा लगता है
अब वह उपक्रम तुम्हारा
बेसन में लिपटी
मछली को
उबलते तेल में छोड़
बीड़ी पीते
 तलैया का-सा


बेसन के भीतर छिपी
मछली के साथ
कब सिकुड़ता
कब फटता है वह.