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मन भर आया / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:52, 17 जुलाई 2010
बनाए आँख सुरमेदानी
मेंहदी रचाए हाथों में
पैरों में
/
वह भी
छिदवाए कान नाक
पहने
झुमकेनाचती
झुमके-नथनी
गर्मी से चिपचिपाती देह पर
ढोए मन भर
द्विजेन्द्र द्विज
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