भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गीत-4 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> दीप सा मन जलता रह…)
(कोई अंतर नहीं)

10:13, 18 जुलाई 2010 का अवतरण



दीप सा मन जलता रहा रात भर
स्नेह आँखों से झरता रहा रात भर

दूर तक मैंने तुमको पुकारा भी था
दे के आवाज़ तुमको पुकारा भी था
फिर भी पथ में अकेला मैं क्यों रह गया
इसी उलझन में उलझा रहा रात् भर, दीप सा मन……

हैं ठहरते सभी के यहीं पर कदम
सफ़र होता सभी का यहीं पर खत्म
सभी आये हैं आओगे तुम भी यहीं
इसी आशा में जगता रहा रात भर, दीप सा मन्………
1988