भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सब के सब बीमार /रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक }…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:34, 18 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
सब-के सब बीमार
मरीज़ तो मरीज़
डाक्टर भी
इसलिए मदद कर नहीं सकते
एक-दूसरे की
लाचार |
सब-के-सब बीमार
कोई आँख से
कोई कान से
कोई तन से
कोई मन से|
दुनिया एक बहुत बड़ा अस्पताल
किन्तु कोई नहीं तीमारदार
सब-के-सब बीमार |