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17:11, 19 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
उपवासिनी से
अपनी उम्र जीने दो मुझे!
मैं तुम्हारी मिन्नतों में मांगी गई
उम्र का मोहताज़ नहीं हूं,
तीज, करवा चौथ और छठ पर
व्रत-उपवास से
पाखण्ड को दुर्दान्त दानवाकार बनाने से
बाज आओ
बस, स्नेह की
एक बूँद-भर ही काफी है--
बिखरते मनोबल को जोड़ने के लिए,
इसलिए मांगो कि मैं--
दस बरस पहले ही मर जाऊँ,
पर, कर्मठता के घोड़े से
कभी न नीचे उतरूं.