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"वयस्क बच्चे / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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कि बच्चे ज़रूरत से ज्यादा
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कि वे बलखाती कमर
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और उत्तल उरोज पर
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फब्तियाँ कसने लगे हैं
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अगर आप पिता हैं
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तो उन्हें बरजिए कि
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वे बचपन की मुंडेर
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लांघकर
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बालिगपन के
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समुद्री भंवर में
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अपने पैर डालने की
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गुस्ताखी न करें
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अगर आप मां हैं
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तो उनके बचपन के पहिए को
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हौले-हौले रफ्तार दें
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कि वे आपको चुनौतियाँ न देने लगें
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और उन्हें छू पाना
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आपके वश के बाहर हो

17:43, 19 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


वयस्क बच्चे
 
खुशफहमी नहीं होनी चाहिए
कि बच्चे ज़रूरत से ज्यादा
सयाने हो गए हैं
कि वे बलखाती कमर
और उत्तल उरोज पर
फब्तियाँ कसने लगे हैं
 
अगर आप पिता हैं
तो उन्हें बरजिए कि
वे बचपन की मुंडेर
लांघकर
बालिगपन के
समुद्री भंवर में
अपने पैर डालने की
गुस्ताखी न करें
 
अगर आप मां हैं
तो उनके बचपन के पहिए को
हौले-हौले रफ्तार दें
कि वे आपको चुनौतियाँ न देने लगें
और उन्हें छू पाना
आपके वश के बाहर हो