"मंत्र कविता / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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17:48, 7 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार:नागार्जुन
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ॐ शब्द ही ब्रह्म है.. ॐ शब्द्, और शब्द, और शब्द, और शब्द ॐ प्रणव, ॐ नाद, ॐ मुद्रायें ॐ वक्तव्य, ॐ उदगार्, ॐ घोषणाएं ॐ भाषण... ॐ प्रवचन... ॐ हुंकार, ॐ फटकार्, ॐ शीत्कार ॐ फुसफुस, ॐ फुत्कार, ॐ चीत्कार, ॐ आस्फालन, ॐ इंगित, ॐ इशारे ॐ नारे, और नारे, और नारे, और नारे
ॐ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ ॐ कुछ नहीं, ॐ कुछ नहीं, कुछ नहीं ॐ पत्थर पर की दूब, खरगोश के सींग ॐ नमक-तेल-हल्दी-जीरा-हींग ॐ मूस की लेड़ी, कनेर के पात ॐ डायन की चीख, औघड़ की अटपट बात ॐ कोयला-इस्पात-पेट्रोल ॐ हमी हम ठोस, बाकी सब फूटे ढोल
ॐ इदमान्नं, इमा आपः इदमज्यं, इदंहविः ॐ यजमान, ॐ पुरोहिर, ॐ राजा, ॐ कविः ॐ क्रांतिः क्रांतिः सर्वग्वं क्रांतिः ॐ शांतिः शांतिः शांतिः सर्वग्वं शांतिः ॐ भ्रांतिः भ्रांतिः भ्रांतिः सर्वग्वं भ्रांतिः ॐ बचाओ बचाओ बचाओ बचाओ ॐ हटाओ हटाओ हटाओ हटाओ ॐ घेराओ घेराओ घेराओ घेराओ ॐ निभाओ निभाओ निभाओ निभाओ
ॐ दलों में एक दल अपना दल, ॐ ॐ अंगीकरण, शुद्धीकरण, राष्ट्रीकरण ॐ मुष्टीकरण, तुष्टिकरण, पुष्टीकरण ॐ ऎतराज़, आक्षेप, अनुशासन ॐ गद्दी पर आजन्म वज्रासन ॐ ट्रिब्यूनल, ॐ आश्वासन ॐ गुटनिरपेक्ष, सत्तासापेक्ष जोड़-तोड़ ॐ छल-छंद, ॐ मिथ्या, ॐ होड़महोड़ ॐ बकवास, ॐ उदघाटन ॐ मारण मोहन उच्चाटन
ॐ काली काली काली महाकाली महाकाली ॐ मार मार मार वार न जाय खाली ॐ अपनी खुशहाली ॐ दुश्मनों की पामाली ॐ मार, मार, मार, मार, मार, मार, मार ॐ अपोजीशन के मुंड बने तेरे गले का हार ॐ ऎं ह्रीं क्लीं हूं आङ ॐ हम चबायेंगे तिलक और गाँधी की टाँग ॐ बूढे़ की आँख, छोकरी का काजल ॐ तुलसीदल, बिल्वपत्र, चन्दन, रोली, अक्षत, गंगाजल ॐ शेर के दाँत, भालू के नाखून, मर्कट का फोता ॐ हमेशा हमेशा राज करेगा मेरा पोता ॐ छूः छूः फूः फूः फट फिट फुट ॐ शत्रुओं की छाती अर लोहा कुट ॐ भैरों, भैरों, भैरों, ॐ बजरंगबली ॐ बंदूक का टोटा, पिस्तौल की नली ॐ डॉलर, ॐ रूबल, ॐ पाउंड ॐ साउंड, ॐ साउंड, ॐ साउंड
ॐ ॐ ॐ ॐ धरती, धरती, धरती, व्योम, व्योम, व्योम, व्योम ॐ अष्टधातुओं के ईंटो के भट्टे ॐ महामहिम, महमहो उल्लू के पट्ठे ॐ दुर्गा, दुर्गा, दुर्गा, तारा, तारा, तारा ॐ इसी पेट के अन्दर समा जाय सर्वहारा हरिः ॐ तत्सत, हरिः ॐ तत्सत