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"इंटरनेट पर हिन्दी के प्रणेता" के अवतरणों में अंतर

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16:47, 22 जुलाई 2010 का अवतरण

यह लेख ललित कुमार द्वारा शोधित और कॉपीराइट किया गया है। इसका प्रयोग करते हुए आपको लेखक का नाम और इस पन्ने का लिंक देना चाहिये। यह पन्ना इस सूचना को प्रमाणिकृत और सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास है और इसमें लगातार बदलाव होते रहेंगे। ऐसे में इस पन्ने का लिंक देने से पाठक नवीनतम जानकारी तक पँहुच सकेंगे। इस लेख में यदि आप कोई त्रुटि पाते हैं या कोई नई सूचना जोड़ना चाहते हैं तो इसके लिये मुझे india.lalit@gmail.com पर ईमेल करें।
इंटरनेट पर हिन्दी के प्रणेता
द्वारा: ललित कुमार
संस्थापक, कविता कोश

यहाँ मैं एक सूची दे रहा हूँ जिसमें कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम और योगदान हैं जिन्होनें हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निबाही हैं। कृपया ध्यान दें कि यह सूची पूरी नहीं है। मुझे विश्वास है कि मैं बहुत से महत्वपूर्ण नाम इस सूची में नहीं दे पा रहा हूँ -ऐसा केवल इस बारे में मेरी अज्ञानता के कारण है। मैं उन सभी व्यक्तियों को नमन करता हूँ जिन्होनें हिन्दी भाषा के विकास में कोई भी सकारात्मक भूमिका अदा की है।

विनय छजलानी
Vinay chhajlani.jpg
विनय छजलानी

विनय छजलानी ने 1993 में सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम नामक कम्पनी की स्थापना की जो की बाद में वेबदुनिया नाम से प्रसिद्ध हुई। इस कम्पनी के काम की प्रशंसा माइक्रोसॉफ़्ट ने भी की और इनके साथ सहयोग करने की पेशकश की

[www.webdunia.com www.webdunia.com]

वासु श्रीनिवास
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वासु श्रीनिवास

वासु श्रीनिवास ने बरह नामक सॉफ़्टवेयर बनाया जिसकी मदद से हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं मे लिखा जा सकता था

[www.baraha.com www.baraha.com]

अभिषेक चौधरी, श्वेता चौधरी
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अभिषेक चौधरी
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श्वेता चौधरी

अभिषेक चौधरी और डा. श्वेता चौधरी ने हिन्दवी नामक सिस्टम बनाया जिससे जिससे कि हिन्दी भाषा में बेसिक जैसा, सी भाषा जैसा डॉस स्तर पर प्रोग्रामिंग करना संभव है

[www.hindawi.in www.hindawi.in]

हरिराम
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हरिराम

हरिराम ने हिन्दी कोर कम्प्यूटिंग को आसान बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान किया। वे सीडैक से भी संबंधित रहे हैं


हेमंत कुमार
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हेमंत कुमार

हेमंत कुमार ने तख्ती नामक बेहद लोकप्रिय और बेहद आसान फ़ोनेटिक यूनिकोड देवनागरी लेखन औजार बनाया जिसे विंडोज 98 के जमाने से अब तक प्रयोग में लिया जा रहा है


आलोक कुमार
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आलोक कुमार

आलोक कुमार ने देवनागरी.नेट का निर्माण किया। आपने लिप्यांतरण औजार गिरगिट का बेहतर इंटरफ़ेस प्रस्तुत किया और लिनक्स गाइड के हिंदी अनुवादों को भी आरम्भ किया। आपने 9-2-11 नाम से पहला हिंदी ब्लॉग भी बनाया।


कुलप्रीत सिंह
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कुलप्रीत सिंह

कुलप्रीत सिंह ने शून्य.इन नामक हिंदी की तकनीकी समाचार साइट का निर्माण किया


विनय जैन
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विनय जैन

विनय जैन ने यूनिकोड हिंदी में पहला ब्लॉग पोस्ट लिखा।


देबाशीष
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देबाशीष

देबाशीष ने पहला लोकप्रिय ब्लॉग एग्रीगेटर चिट्ठाविश्व का निर्माण किया


राघवन, सुरेखा
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राघवन
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सुरेखा

राघवन एवं सुरेखा जी ने एक आई.एम.ई बनाया। यह जावास्क्रिप्ट पर आधारित था और इसकी मदद से और भी कई औज़ार बने।


रमण कौल
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रमण कौल

रमण कौल ने हिन्दी के इनस्क्रिप्ट तथा रेमिंगटन ऑनलाइन कीबोर्ड उपलब्ध कराए


रवि रतलामी
Raviratlami.jpg
रवि रतलामी

रवि रतलामी ने लिनिक्स का हिन्दी इंटरफ़ेस बनाया


पंकज नरूला
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पंकज नरूला

नारद नामक ब्लॉग एग्रीगेटर सबसे पहले पंकज नरूला ने बनाया था, उसके संवर्धन का काम जीतेन्द्र चौधरी, फ़्रंट एण्ड इम्प्रूवमेंट संजय और पंकज बैंगाणी ने किया


पूर्णिमा वर्मन
Purnimavarman1.jpg
पूर्णिमा वर्मन

पूर्णिमा वर्मन ने बहुत लोकप्रिय अनुभूति और अभिव्यक्ति नामक हिन्दी साहित्यिक वेब-पत्रिकाओं का निर्माण और संचालन किया

[www.abhivyakti-hindi.org www.abhivyakti-hindi.org][www.anubhuti-hindi.org www.anubhuti-hindi.org]

मितुल पटेल
Mitul.jpg
मितुल पटेल

मितुल पटेल ने हिन्दी विकिपीडिया को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जिसमें पूर्णिमा वर्मन तथा अनुनाद सिंह की सक्रिय साझेदारी रही

http://hi.wikipedia.com

शैलेष भारतवासी
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शैलेष भारतवासी

शैलेष भारतवासी ने हिन्द युग्म प्रारम्भ किया और इंटरनेट पर हिन्दी लिखने के बारे में साक्षरता को बढ़ावा दिया

[www.hindyugm.com www.hindyugm.com]

ईस्वामी
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ईस्वामी

हग एक हिन्दी यूनिकोड जनरेटर है। हग की मदद से श्री हिमांशु सिंह ने हिन्दी-तूलिका औजार बनाया


मैथिली गुप्त
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मैथिली गुप्त

मैथिली गुप्त ने कम्प्यूटर और इंटरनेट पर हिन्दी के विकास के लिये कई महत्वपूर्ण काम किए:

    • आपने कृतिदेव नामक लोकप्रिय फ़ॉन्ट बनाया, जिसे अब माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने तमाम विन्डोज़ सिस्टम्स में इंस्टाल किया हुआ है।
    • १९९८ में आपने हिन्दी पैड बनाया जो रोमनाइज़्ड तरीके से हिन्दी टाइप करने के लिये पहला औज़ार था
    • ब्लॉगवानी नामक ब्लॉग एग्रीगेटर वेबसाइट को भी मैथिली जी ने डिज़ाइन किया
    • आपने कैफ़ेहिन्दी नामक औज़ार का निर्माण किया जिससे लोग यूनिकोड हिन्दी को रोमनाइज़्ड तरीके के अलावा सुशा और कृतिदेव फ़ॉन्ट्स के तरीके से टाइप कर सकते हैं
    • आपने इंडिनेटर नामक फ़ॉन्ट परिवर्तक का निर्माण किया
    • इसके बाद आपने इंडिनेटर स्क्रिप्ट कन्वर्टर नामक औज़ार बनाया जो हिन्दी लिपि को अन्य भारतीय भाषाओं की लिपियों में बदल सकता है


रजनीश मंगला
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रजनीश मंगला

रजनीश मंगला ने हिन्दी फ़ॉन्ट्स परिवर्तन करने के लिये औजार बनाए



ऊपर दिये गये लगभग सभी उदाहरणों की ख़ास बात यह है कि इनके सुविधाओं के रचयिताओं ने इन्हें प्रयोक्ताओं को मुफ़्त उपलब्ध कराया। यह एक प्रमुख कारण था कि इंटरनेट पर हिन्दी तेज़ी से आगे बढ़ सकी। इन लोगो को इंटरनेट पर हिन्दी के प्रणेता कहा जा सकता है।

यूनिकोड क्या है?

चलिये अब बात करते हैं यूनिकोड की। इंटरनेट पर हिन्दी के विकास को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला हिस्सा वह जबकि ग़ैर-यूनिकोड फ़ॉन्ट्स का प्रयोग करते हुए हिन्दी टाइप की जाती थी। सुशा, कृतिदेव और इनके अलावा उस समय के अन्य सभी फ़ॉन्ट्स गैर-यूनिकृत थे यानी ये फ़ॉन्ट्स यूनिकोड पर आधारित नहीं थे। इन फ़ॉन्ट्स में लिखी गई सामग्री केवल उन्हीं कम्प्यूटरों पर पढ़ी जा सकती है जिन पर इस्तेमाल किया गया फ़ॉन्ट मौजूद हो। यह एक बड़ी दिक्कत थी लेकिन यह परेशानी तब दूर हो गई जब हिन्दी का यूनिकोड निर्धारित हो गया। हिन्दी को यूनिकोड दिलाने की सख़्त आवश्यकता को पूरा करने की शुरुआत श्री आलोक कुमार ने देवनागरी.नेट वेबसाइट के ज़रिये की थी। हिन्दी भाषा के लिये यूनिकोड का निर्धारण हो जाने को शायद इंटरनेट पर हिन्दी के विकास में सबसे बड़ी क्रांति कहा जा सकता है। इसके बाद तो जैसे इंटरनेट पर हिन्दी वेबसाइट्स की जैसे बाढ़-सी आ गई। जो सबसे वैबसाइट सबसे अधिक बनी वे ब्लॉग्स थीं। कुछ ही वर्षों में ब्लॉग वेबसाइट्स की संख्या कई हज़ार के ऊपर निकल गई।

कम्प्यूटर अक्षरों को नहीं समझता -वह केवल उन अक्षरों के लिये निर्धारित कोड को समझता है। जब आप कम्प्यूटर पर अंग्रेज़ी में A टाइप करते हैं तो वास्तव में कम्यूटर की नज़र में आपने ASCII code 65 टाइप किया है। ASCII इसी तरह हर अंग्रेज़ी अक्षर, अंक और चिन्ह के लिये निर्धारित कोड्स का एक मानक है। यह मानक 128 अक्षरों, अंको और चिन्हों को अलग-अलग कोड दे सकने में सक्षम है। इसलिये यह अंग्रेज़ी में प्रयोग होने वाले अक्षरों, अंको और चिन्हों के लिये तो काफ़ी है लेकिन दुनिया की हज़ारों भाषाओं में प्रयोग होने वाले लाखों अक्षरों, अंको और चिन्हों को अलग-अलग कोड दे सकने के लिये यह मानक काफ़ी नहीं है। यूनिकोड एक नई प्रणाली है जिसके ज़रिये दुनिया की सभी भाषाओं के सभी अक्षरों, अंको और चिन्हों में से हरेक को अलग-अलग कोड दिया जा सकता है। जब तक किसी अक्षर को कोई मानक चिन्ह नहीं मिलता तब तक कम्प्यूटर उस अक्षर के साथ काम नहीं कर पाता। हिन्दी को जब से अपने हरेक अक्षर, अंक और चिन्ह के लिये यूनिकोड के कोड्स मिले हैं तब से कम्प्यूटर के लिए लिखे जाने वाले सॉफ़्ट्वेयर ने हिन्दी को मानक रूप में पहचानना और दिखाना आरम्भ कर दिया है।