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"गुड़िया-10 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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(कोई अंतर नहीं)
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22:43, 22 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
उस सागर में
डूबने की चाह
लिए मेरा मन
आज बेचैन है
जानता हूँ चैन
उसे भी नहीं
मगर वह
सीमा में बंधी है
एक बार
बस एक बार
भरपूर कर के प्यार
डूब के जीना चाहता हूँ
दूसरे शब्दों में
मर कर भी
उसे जिंदा चाहता हूँ ।