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"घुटन / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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20:31, 24 जुलाई 2010 का अवतरण

जी में आता है कि इस कान में सुराख़ करूँ
खींचकर दूसरी जानिब से निकलूँ उसको
सारी की सारी निचोडूं ये रगें साफ़ करूँ
भर दूँ रेशम की जुलाई हुई भुक्की इसमें

कह्कहाती हुई भीड़ में शामिल होकर
मैं भी एक बार हँसू, खूब हँसू, खूब हँसू