"आस्था का उजाला / पुष्पिता" के अवतरणों में अंतर
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सूरीनाम की धरती पर रचे हैं - | सूरीनाम की धरती पर रचे हैं - | ||
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− | कृष्ण-राधा | + | कृष्ण-राधा मंदिर |
− | गायत्री | + | गायत्री मंदिर |
− | विष्णु | + | विष्णु मंदिर |
− | दुगार् | + | दुगार् मंदिर |
− | शिव | + | शिव मंदिर |
− | + | आर्य-समाजियों की यज्ञशालाएँ, | |
− | भीतर जिनके भगवान | + | भीतर जिनके भगवान... देवी...देवता |
− | रामायण, पुराण | + | रामायण, पुराण और गीत। |
− | + | सूर्य | |
− | + | मंदिर के शिखरों से पहुँचता है - | |
आस्था बनकर | आस्था बनकर | ||
पाषाण प्रतिमा में | पाषाण प्रतिमा में | ||
− | + | और सौंपता है - | |
− | इन पावन | + | इन पावन मंदिरों की |
− | प्राचीन तेजस्वी अखंड ज्योति | + | प्राचीन तेजस्वी अखंड-ज्योति |
वह सरनामी उपासकों की आंखों में | वह सरनामी उपासकों की आंखों में | ||
उतरता है साधना की शक्ति बनकर | उतरता है साधना की शक्ति बनकर | ||
− | + | सूर्य | |
− | सरनामी | + | सरनामी मसजिदों की मीनारों से |
उतर जाता है - | उतर जाता है - | ||
हर पहर की अजान में | हर पहर की अजान में | ||
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इंसानियत बनकर | इंसानियत बनकर | ||
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प्राथर्ना के शब्दों में | प्राथर्ना के शब्दों में | ||
प्रकाश बनकर | प्रकाश बनकर | ||
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उजास का स्वर ढलकर | उजास का स्वर ढलकर | ||
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सरनामी भक्तजनों के | सरनामी भक्तजनों के | ||
नन्हें घरौंदों में | नन्हें घरौंदों में | ||
आस्था का प्रतिरूप है - | आस्था का प्रतिरूप है - | ||
बिना भेदभाव के | बिना भेदभाव के | ||
− | मानवता के समथर्न में | + | मानवता के समथर्न में |
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10:11, 1 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
प्रवासी भारतवंशियों ने
सात-समुद्र् पार
सूरीनाम की धरती पर रचे हैं -
संस्कृति-मंदिर
कृष्ण-राधा मंदिर
गायत्री मंदिर
विष्णु मंदिर
दुगार् मंदिर
शिव मंदिर
आर्य-समाजियों की यज्ञशालाएँ,
भीतर जिनके भगवान... देवी...देवता
रामायण, पुराण और गीत।
सूर्य
मंदिर के शिखरों से पहुँचता है -
आस्था बनकर
पाषाण प्रतिमा में
और सौंपता है -
इन पावन मंदिरों की
प्राचीन तेजस्वी अखंड-ज्योति
वह सरनामी उपासकों की आंखों में
उतरता है साधना की शक्ति बनकर
सूर्य
सरनामी मसजिदों की मीनारों से
उतर जाता है -
हर पहर की अजान में
अजान से कुरान में
कुरान से लफ़्ज़ में
इबारत से इंसान में
इंसानियत बनकर
सूर्य
सरनामी गिरजाघरों के भीतर पहुँचता है -
प्राथर्ना के शब्दों में
प्रकाश बनकर
घड़ी के घंटों में
सुनाई देता है -
उजास का स्वर ढलकर
सूर्य
सरनामी भक्तजनों के
नन्हें घरौंदों में
आस्था का प्रतिरूप है -
बिना भेदभाव के
मानवता के समथर्न में