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− | महक उठा है | + | महक उठा है आँगन इस ख़बर से |
− | वो | + | वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से |
जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम | जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम | ||
− | दरीचे पर | + | दरीचे पर शफ़क़ के रंग बरसे |
− | + | मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था | |
− | उतारे | + | उतारे कौन अब दीवार पर से |
गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की | गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की | ||
− | मैं | + | मैं लड़ता फिर रहा हूँ शहर भर से |
− | उसे देखे ज़माने भर का ये | + | उसे देखे ज़माने भर का ये चाँद |
− | हमारी | + | हमारी चाँदनी छाए तो तरसे |
मेरे मानन गुज़रा कर मेरी जान | मेरे मानन गुज़रा कर मेरी जान |
12:44, 1 अगस्त 2010 का अवतरण
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महक उठा है आँगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से
जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम
दरीचे पर शफ़क़ के रंग बरसे
मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब दीवार पर से
गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की
मैं लड़ता फिर रहा हूँ शहर भर से
उसे देखे ज़माने भर का ये चाँद
हमारी चाँदनी छाए तो तरसे
मेरे मानन गुज़रा कर मेरी जान
कभी तू खुद भी अपनी रहगुज़र से