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"किसी लिबास की खुशबू / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर

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किसी लिबास की खुशबू जब उड़ के आती है  
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किसी लिबास की ख़ु
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शबू जब उड़ के आती है  
 
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है  
 
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है  
  
तेरे बगैर मुझे चेन कैसे पड़ता है  
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तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है  
और मेरे बगैर तुझे नीन्द कैसे आती है  
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मेरे बगैर तुझे नींद
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कैसे आती है  
  
 
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में  
 
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में  
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रो न पड़ते अगर खुशी होती  
 
रो न पड़ते अगर खुशी होती  
  
दिल मे जिनका कोई निशान न रहा  
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दिल में
क्यो न चेहरो पे वो रंग खिले  
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जिनका कोई निशाँ न रहा  
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क्यों न चेहरो पे वो रंग खिले  
  
अब तो खली है रूह जस्बो से  
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अब तो ख़ाली
अब भी क्या तबाज़ से ना मिले   
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है रूह जज़्बों
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से  
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अब भी क्या तबाज़ से मिले   
  
 
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13:03, 1 अगस्त 2010 का अवतरण

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किसी लिबास की ख़ु
शबू जब उड़ के आती है
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है

तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है
मेरे बगैर तुझे नींद
 कैसे आती है

रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में
रस्म ही क्या निभानी होती

मुस्कुराए हम उससे मिलते वक्त
रो न पड़ते अगर खुशी होती

दिल में
 जिनका कोई निशाँ न रहा
क्यों न चेहरो पे वो रंग खिले

अब तो ख़ाली
 है रूह जज़्बों
 से
अब भी क्या तबाज़ से न मिले